दूसरों से नहीं खुद से प्रतिस्पर्धा कर पाई है सफलता - प्रो. राजबीर

 


दूसरों से नहीं खुद से प्रतिस्पर्धा कर पाई है सफलता - प्रो. राजबीर


बचपन से अब तक हर काम फोकस के साथ किया। जीवन में कभी दूसरों से नहीं, खुद से कंपीटीशन किया। इसी से अपनी कमियां दूर करने का मौका मिला। खुद से कंपीटीशन ने न केवल आत्मबल दिया, बल्कि लगातार आगे बढ़ऩे के लिए प्रेरित किया। यही वजह है कि देश की दस सबसे बेहतर विश्वविद्यालयों में शुमार एमडीयू के कुलपति पद की जिम्मेदारी मिली। अपने सतत प्रयास से विवि को नई ऊंचाई पर ले जाना है। इसमें विवि को डिजिटल रूप देना सबसे अहम है। यही मेरा पहला व अगला कदम है। यह कहना है एमडीयू के स्थायी नवनियुक्त कुलपति प्रो. राजबीर सिंह का। उन्होंने रविवार को अपने आवास पर अमर उजाला के साथ अपनी सफलता व संघर्ष को साझा किया।


 

प्रो. राजबीर ने कहा कि उनका मानना है कि दूसरों से तुलना नहीं करें। अपना मूल्यांकन जरूरी है। मैं कल क्या था। आज क्या हूं। यह सोचना जरूरी है। मैं अब भी इसी सोच पर काम कर रहा हूं। रात को सोने से पहले अपने किए काम का मूल्यांकन करता हूं। दिन भर में मैंने क्या किया, संस्थान को इससे क्या फायदा होगा, आगे और बेहतर क्या किया जाए। इन सब बातों से हमारा फोकस बना रहता है।
एमडीयू में लाएंगे डिजिटल कंटेंट, लोकल स्टूडेंट्स के लिए स्किल डेवलपमेंट को देंगे बढ़ावा
उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को विवि में बेहतर सुविधा मुहैया कराई जाएंगी। इसके तहत टेक्नोलॉजी इनेबल लर्निंग को बढ़ावा दिया जाएगा। यहां डिजिटल कंटेंट लाया जाएगा। इससे शिक्षकों की कमी भी नहीं खलेगी। इस कंटेंट में वीडियो, टैक्सट व एक्सरसाइज भी हैं। इससे विद्यार्थी अपनी पढ़ाई और बेहतर ढंग से कर सकेगा। इसे यूजीसी ने तैयार किया है। इसके अलावा लोकल स्टूडेंट्स के लिए स्किल डेवलपमेंट पर फोकस किया जाएगा।
डिजिटल कंटेंट तैयार करने पर राष्ट्रपति से मिला सम्मान
प्रो. राजबीर सिंह ने बताया कि यूजीसी में मुझे इंटर यूनिवर्सिटी सेंटर जाने का मौका मिला। इसे सीईसी (कंसोर्टियम फोर एजुकेशन कम्यूनिकेशन) कहते हैं। यहां बतौर निदेशक के रूप में पांच वर्ष काम किया। उन दिनों सीईसी को हायर एजुकेशन का डिजिटल कंटेंट विकसित करने का काम दिया गया था। मेरे कार्यकाल में देश की पूरी स्नातक स्तरीय शिक्षा का डिजिटल कंटेंट तैयार हुआ। इस काम के लिए मुझे नौ जुलाई 2017 को तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के हाथों सम्मान मिला।
आठवीं तक की शिक्षा पैतृक गांव राजपुरा में की, कंचे भी खेले
एमडीयू के कुलपति प्रो. राजबीर सिंह जींद के गांव राजपुरा के रहने वाले हैं। इनकी आठवीं कक्षा तक की शिक्षा गांव में ही हुई। ग्रामीण खेल खेले। इसमें कंचे खेलना भी शामिल है। कक्षा नौ से दस तक की पढ़ाई जींद के जाट स्कूल में की। राजकीय महाविद्यालय जींद से बीएससी नान मेडिकल, कुरुक्षेत्र विवि से अंग्रेजी में स्नातकोत्तर की पढ़ाई की। अपनी पढ़ाई के बाद 1986 में विद्यार्थियों को पढ़ाने डीएवी कॉलेज पिहोवा में बतौर शिक्षक कार्यभार संभाला। वहां से सरकार में गए। इस दौरान अपनी पढ़ाई जारी रखी। जर्नलिज्म मास कम्यूनिकेशन में एमए, एलएलबी व पीएचडी की। हरियाणा पब्लिक रिलेशन में प्रेस सेक्शन इंचार्ज रहते हुए किताब भी लिखी। रिसर्च पेपर प्रकाशित हुए। कुरुक्षेत्र विवि में शिक्षक के रूप में जिम्मेदारी मिली। यहां मास कॉम विभाग में प्रोफेसर के साथ निदेशक भी रहे। इसके बाद यूजीसी में सेवाएं दीं।
कुलपति का एमडीयू पर फोकस
- विद्यार्थियों की स्किल्स बेहतर बनाना।
- शोधार्थी की रिसर्च को मजबूत बनाना।
- इंडस्ट्री के लिए कंसलटेंसी को बढ़ावा।
- इन्नोवेशन, रिसर्च व स्टार्टअप पर जोर।
एमडीयू एक नजर में
- एमडीयू को एक साल के बाद मिला नियमित कुलपति
- प्रो. बीके पूनिया का कार्यालय पूरा होने बाद से रिक्त था पद
- पहले सुपवा कुलपति रहते हुए प्रो. राजबीर के पास एमडीयू का था अतिरिक्त कार्यभार